
नई दिल्ली,:कुलवंत कौर :-दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर) द्वारा आयोजित सिविल जज भर्ती परीक्षा में अमृतधारी छात्रा गुरप्रीत कौर को किर्पान और कड़ा पहनने के कारण जयपुर परीक्षा केंद्र में प्रवेश न देने की घटना को गंभीरता से लेते हुए इसे भारतीय संविधान का खुला उल्लंघन और सिखों के खिलाफ घृणास्पद भेदभाव करार दिया है।
कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलो ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस कौम ने देश की आज़ादी के लिए कुर्बानियाँ दीं, आज उसी कौम की संतान को अपने धार्मिक प्रतीकों और पहचान के लिए सफाई देनी पड़ रही है।
कालका और काहलो ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं के लिए वे उन धार्मिक संगठनों को भी ज़िम्मेदार मानते हैं जो आज तक देशवासियों को सिख धर्म और उसके प्रतीकों की जानकारी देने में असफल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इससे पहले भी एक गुरसिख छात्र को ऐसी ही परेशानी का सामना करना पड़ा था, जिसकी कानूनी लड़ाई दिल्ली कमेटी ने लड़ी और छात्र को दोबारा परीक्षा दिलवाई गई। इस बार भी कमेटी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री से बातचीत करेगी और अपनी कानूनी टीम के माध्यम से न्यायिक कार्रवाई करके छात्रा की पुनः परीक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी।
कालका और काहलो ने कहा कि यह पूरे समुदाय के लिए गर्व की बात है कि एक अमृतधारी बेटी कानून की पढ़ाई कर रही है और आशा की जा सकती है कि भविष्य में वह अपने ज्ञान से कौम की सेवा करेगी। इसलिए सभी संस्थाओं को आगे आकर इस छात्रा की मदद करनी चाहिए।