
कुलवंत कौर रिपोर्ट :-
साइकिल यात्रा का नाम “सीस दिया पर सिररु ना दिया” होगा
धार्मिक पहचान, धर्मांतरण, धार्मिक लिबास, नशे तथा नस्ली सफाई के खड़े ख़तरों प्रति सिखों को जागरूक करेंगे: जीके
नई दिल्ली (16 अक्टूबर, 2025) श्री गुरू तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस की स्मृति में 15 नवंबर, 2025 को गुरू साहिब जी के शहीदी स्थल गुरुद्वारा सीसगंज साहिब, दिल्ली से एक भव्य साइकिल यात्रा शुरू होगी जो कि उनके जन्म स्थान गुरुद्वारा गुरू का महल, अमृतसर तक जाएगी। इस अनूठी यात्रा का आयोजन साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. और उनके साथियों द्वारा किया जा रहा है। इस यात्रा का उद्देश्य गुरू साहिब जी की शहादत, दया, निर्भयता और निडरता की विरासत का प्रचार-प्रसार करना है। इस यात्रा में गुरू साहिब के हज़ारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस यात्रा के दौरान, दिल्ली से सैकड़ों साइकिल चालक रवाना होंगे। रास्ते में और भी साइकिल सवार और समर्थक इस यात्रा में शामिल होंगे। आज मीडिया से बातचीत करते हुए मनजीत सिंह जीके ने बताया कि इस साइकिल यात्रा का नाम “सीस दिया पर सिररू न दिया” साइकिल यात्रा होगा। यह साइकिल यात्रा 350 साल पहले सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता तथा धार्मिक प्रतीकों की रक्षा के लिए श्री गुरू तेग बहादर साहिब द्वारा सहन की गई शहीदी गाथा की याद को प्रचारित करने तथा सिक्खी स्वरूप की सदैव बहाली
को समर्पित होगी।

जीके ने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की अद्वितीय शहादत की अवधारणा को याद करना है। साथ ही, श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी के सिखों के सामने धार्मिक पहचान, धर्म परिवर्तन, धार्मिक लिबास, नशों तथा नस्ली सफाई के खड़े ख़तरों के प्रति सिखों को जागरूक करना है। सिखों को स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रोत्साहित करना भी इस साइकिल यात्रा का छिपा हुआ उद्देश्य है। क्योंकि एक समय था जब सिख अपनी पगड़ी और धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटवाने को भी तैयार रहते थे। लेकिन अब नशाखोरी, धर्मांतरण और सिख पहचान की रक्षा के प्रति सिखों में बेपरवाही का माहौल है। इसलिए यह साइकिल यात्रा श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी के साथ-साथ उनके सिख भाई मति दास जी, भाई सती दास जी, भाई दयाला जी, भाई जैता जी, भाई लक्खी शाह वंजारा और भाई मक्खन शाह लुबाना सहित गुरू साहिब जी की माता नानकी जी और उनकी धर्मपत्नी माता गुजरी जी को समर्पित की गई है। इस साइकिल यात्रा में प्रतियोगी के रूप में पंजीकरण कराने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। इसलिए इस यात्रा को मैं धर्म और फिटनेस का एक अनूठा संगम और नशे व धर्मांतरण के खिलाफ जिहाद मानता हूँ। प्रत्येक रात्रि पड़ाव के दौरान गुरमत समागम का आयोजन भी किया जाएगा।
इस अवसर पर आए कश्मीरी पंडितों के नेता रविंदर पंडित ने कहा कि हम गुरू तेग बहादर साहिब जी के ऋणी हैं। क्योंकि उनकी महान शहादत के कारण ही मुगल काल में हिंदू धर्म जीवित रहा। जबकि उससे पहले आदि शंकराचार्य के प्रयासों से बौद्ध धर्म के उभार के बीच हिंदू धर्म जीवित रहा था। इसलिए इस 350वें शहीदी दिवस को ‘जश्न’ के रूप में मनाने कु बजाए इसे ‘निरीक्षण’ के रूप में मनाने की आवश्यकता है। यात्रा के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मनजीत सिंह जीके ने बताया कि 15 नवंबर को साइकिल यात्रा दिल्ली के गुरुद्वारा शीशगंज साहिब से शुरू होगी और रात्रि विश्राम पानीपत में होगा। वहीं 16 नवंबर को पानीपत से शुरू होकर अंबाला में रात्रि विश्राम होगा, फिर 17 नवंबर को अंबाला से शुरू होकर लुधियाना में रात्रि विश्राम होगा। इसी प्रकार 18 नवंबर को लुधियाना से शुरू होकर जालंधर में रात्रि विश्राम होगा और 19 नवंबर को अमृतसर के बाहरी इलाके में रात्रि विश्राम होगा। इस अंतिम पड़ाव से यह साइकिल यात्रा 20 नवंबर को आगे बढ़ेगी और नगर कीर्तन के रूप में गुरुद्वारा गुरू का महल पहुंचेगी इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उक्त साइकिल यात्रा का लोगो एवं रूट मैप का विमोचन किया गया। इस मौके पर इंटरनेशनल पंजाब फोरम के अध्यक्ष राजिंदर सिंह चड्ढा, अमरजीत सिंह (टर्बन ट्रैवलर), माता गुजरी अस्पताल के चेयरमैन नवीन पाल सिंह भंडारी, प्रख्यात समाजसेवी बलबीर सिंह कक्कड़, गुलजीत सिंह (काबुल बिरादरी), दिल्ली कमेटी के सदस्य परमजीत सिंह राणा, सतनाम सिंह, महिंदर सिंह, एडवोकेट नगिंदर बेनीपाल और डॉ. परमिंदर पाल सिंह मौजूद रहे।