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करोड़ों की अनुदान राशि के बाद नौनिहालों को मिले गैरमान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र
मनोज भारद्धाज
नई दिल्ली। बीकानेर कार्यालय शिक्षा विभाग में 2017 से एक बड़े घोटाले की सुगबुगाहट है। जब धुंआ उइा है तो कहीं ना कहीं आग लगी ही होगी। स्काउटींग प्रशिक्षण के लिए सम्पूर्ण देश में शिक्षण के लिए भारत सरकार से केवल दो संस्थाऐं मान्यता प्राप्त है। इनमें से एक नई दिल्ली में पंजीकृत हिन्दुस्तान स्काउटस और गाइडस भी जिसके वर्तमान नेशनल चेयरमैन श्री करूणाकर प्रधान है।
करोड़ों की अनुदान राशि हजम करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा पहले दिल्ली पंजीकृत संस्था को बैगेर अनुदान राशि के मांग के ही शिक्षण कार्य करने की अनुमति दी गयी। मिली जानकारी में इसके उपरांत संस्था में पूरे राज्य के शिक्षा अधिकारी जिला स्तर पर पूर्व कर्मी के साथ गठजोड़ में बैठे। शिक्षा विभाग के द्वारा जारी पंजीयन कार्यालय को दिये पत्र से दबाव डाल कर पूर्व कर्मी नरेन्द्र को आगे रख हमनाम पंजीयन कराया गया। इस हमनाम संस्था का पंजीयन पहले जिला स्तरीय और फिर चालाकी से उदयपुर पंजयन कार्यालय में राज्य स्तरीय करा दिया गया। इसमें साथ दिया पूर्व की एक फर्जी स्काउट संस्था के साथ सरकारी नौकरी दिलाने के झांसे से अपना कैरियर आरम्भ करने वाले चतुर नरेन्द्र द्वारा। उस नकली संस्थान के कर्ता धर्ता जेल यात्रा कर लिये तो उनको छोड़ कर इस बार चालाक नरेन्द्र ने मान्यता प्राप्त संस्था के ही हमनाम से नया धंधा अपना लिया।
समाजिक संस्थानों के लिए मिले अनुदान को शिक्षा विभाग के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिल बांट कर लेने की रणनीति में नया पैन कार्ड और बैंक खाते खेल लिये गये। कागजों में जबरदस्त हेराफरी के साथ तैयार किये गये प्रमाणों में भीतर ही भीतर यह खिचड़ी पक रही थी पर मामला तब गम्भीर हुआ जब प्रमाण पत्रों के आधार पर अग्रसारित होने के लाभ से राजस्थान के विद्यार्थी राष्टीय स्तर की प्रतियोगिता मे वंचित होने की सूचना आयी। इसे दबाने के लिए शिक्षा विभाग बीकानेर के निदेशक सीताराम ने आनन फानन में भारत सरकार से मान्यता प्राप्त संस्था को ही फर्जी कह कर राजस्थान में काम करने पपररोक के आदेश दे दिये। भ्रष्ट अधिकारियों की हालात यह है कि डर के कारण हर जिले से समान गैरकानूनी आदेश जारी किये गये। इस पर प्रमाणित और मान्यता प्राप्त संस्था के राज्य सचिव विजय कुमार ने उच्च न्यायालय राजस्थान में अर्जी दी तथा स्थगन आदेश प्राप्त किया। लालफीताशही का आलम यह है कि माननीय उच्च न्यायालय के अदालत के आदेश को दरकिनार कर उदयपुर पंजीकृत हमनाम संस्था के लिए अराजपत्रित जिला शिक्षा अधिकारी अपना आदेश थोप कर भारत सरकार से मान्यता प्राप्त दिल्ली पंजीकृत संस्था के लिए शिवर स्थगन आदेश जारी कर रहे है।
हर साल करोड़ों की अनुदान राशि के बाद भी राजस्थान के नैनिहालों को गैरमान्यता प्राप्त संस्था के प्रमाण पत्र भारत सरकार से मान्यता प्राप्त बता कर दिये गये। इस संबध मे लालकोठी जयपुर थाने में शिकायत तक दर्ज की गयी परन्तु बताया जाता है कि सबूत देने पर भी मंत्री मदन दिलावर कार्यालय के दबाव में पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। मंत्री के भय से मासूम और नाबालिग बच्चों को फर्जी हमननाम संस्था द्वारा गैरमान्यता प्राप्त प्रमाण पत्रों के विरूद्ध समाचार लगाने में स्थानीय मीडिया द्वारा चुप्पी साधी इुई है। बताया गया है कि मंत्रालय के अधिकरियों सहित पार्टी नेताओं के मार्फत भारत सरकार से आदेश को प्रस्तुत करने के बाद भी मंत्री मदन दिलावर के कार्यालय से कोई सुनवाई नहीं मिली। जानने पर पता चला है कि शिक्षा मंत्री रामगंज मण्डी के विधायक मदन दिलावर ही हमनाम संस्था के अध्यक्ष है जो कि
एक गरीब परिवार से आये संघ के पूर्वप्रचारक रहे और अब अरोबों की संपति के मालिक है और इनके तमाम परिवार तथ मित्र कोटा में कई भवनो और छात्रावासो को चला रहे है।