गाँधी जयंती के अवसर, दिल्ली विश्व विद्यालय में ‘स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर संगोष्ठी।

गांधी भवन दिल्ली विश्वविद्यालय ने ” स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर भारत” विषय पर आयोजित की संगोष्ठी।
सत्य और अहिंसा का कोई विकल्प नहीं है :- प्रो.आशुतोष भारद्वाज

नई दिल्ली।
महात्मा गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन द्वारा “स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर भारत ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने समाज हित एवं राष्ट्रहित में उपयोगी विचारों को सभी के साथ साझा किया। दीप प्रज्वलन, गांधी जी एवं शास्त्री जी के चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ।
गांधी भवन के निदेशक प्रो. के.पी. सिंह ने कार्यक्रम में आमंत्रित सभी अतिथियों का परिचय देते हुए अंगवस्त्र एवं फलों की टोकरी भेंट कर अभिनंदन किया। अपने स्वागत वक्तव्य में प्रो. सिंह ने वर्तमान परिदृश्य में वैश्विक पटल पर भारत की बढ़ती साख एवं आत्मनिर्भर भारत के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि आज भारत की आवाज विश्व पटल पर गूंज रही है। आज देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत गंभीरता से सुना जाता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान समग्र विश्व ने देखा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ मुंह तोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा की स्वदेशी केवल विचार नहीं है अपितु हमारे हृदय का स्पंदन है। स्वदेशी ही देश को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए आत्मविश्वास और आत्मसम्मान का होना बहुत आवश्यक है।अब वह दिन दूर नहीं जब भारत संयुक्त राष्ट्र परिषद का स्थाई सदस्य भी बनेगा ।विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था भी बनेगा और 2047 तक विकसित राष्ट्र भी बनेगा। प्रो. सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर सभी आंगुतकों को बधाई देते हुए बताया कि संघ ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने और स्वदेशी अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।


विशिष्ट अतिथि, विश्वविद्यालय के डीन,छात्र कल्याण, प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी ने स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की बात भारतीय दर्शन के माध्यम से प्रारंभ की। उन्होंने कहा कि कोई भी युग रहा हो दो तरह की शक्तियां रही हैं। एक देव संस्कृति एवं एक दानव संस्कृति और देव संस्कृति ने सदैव अपने आत्म बल से दानव संस्कृति को पराजित किया है। गांधी जयंती के अवसर का उल्लेख करते हुए उन्होंने गांधी के दर्शन का भी उल्लेख करते हुए बताया कि गांधी जी पर सदैव राम का प्रभाव रहा है । जिस प्रकार राम राजकुमार की परिधि से बाहर जाकर के 14 वर्ष के वनवास और लंका पर विजय प्राप्त करके विभीषण को लंका का राजा बनाकर अयोध्या लौटते हैं तो वह राम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनने की यात्रा है। ठीक इसी प्रकार एक संपन्न परिवार का बालक अपने समस्त ज्ञान को अर्जित कर एक धोती पहनकर लाठी लेकर चल पड़ता है और राष्ट्र को एक कर देता है वह महात्मा गांधी हैं। उन्होंने राम के दिए हुए व्रत ( सत्य, अहिंसा,ब्रह्मचर्य, अस्तेय एवं अपरिग्रह) का सदैव पालन किया। उन्होंने कहा कि भारत केवल देश नहीं है ;भारत एक जीवन पद्धति है ।
विशिष्ट अतिथि सर्जरी विभाग, जीबी पंत अस्पताल के प्रमुख डॉ दिनेश अग्रवाल ने सभी को संबोधित करते प्रोफेसर और विद्यार्थियों के संबंध को प्रतिपादित हुआ । उन्होंने कहा कि आज समग्र विश्व महात्मा गांधी से सीख रहा है। गांधी को केवल पढ़ना नहीं है अपितु जीवन में उतारना भी है। आत्मनिर्भर भारत के विषय पर उन्होंने कहा कि आज जब पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है कहीं टैरिफ को लेकर कहीं युद्ध को लेकर और कहीं बाजार को लेकर। फिर भी भारत आराम से चल रहा है क्यों कि भारत ने स्वदेशी से आत्मनिर्भर बनने की ठान ली है। आज जिस गति से भारत आत्मनिर्भर बनने की तरफ अग्रसर है । वह सराहनीय है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता भी प्रकट की।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक प्रो. के.जी. सुरेश ने” स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर भारत” विषय पर अपने व्याख्यान में बहुत महत्वपूर्व तथ्यों को उजागर किया। स्वदेशी विषय पर बात करते हुए उन्होंने कहा की स्वदेशी का विचार हमारी चेतना का केंद्र बिंदु होना चाहिए । यह केवल आवरण या वस्त्र या उत्पादों तक सीमित नहीं हैं। हमारी सोच स्वदेशी हो हमें अपनी भाषा पर गर्व हो। आज 2 अक्टूबर के अवसर पर संघ के शताब्दी वर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि संघ ने जो पांच परिवर्तन का संकल्प लिया है उन पांच परिवर्तनों में एक “स्वदेशी”भी एक संकल्प है। प्रचारकों के जीवन में यथार्थ रूप में गांधी परिलक्षित होते हैं। स्वदेशी हमारे घर से आरंभ हो। हमारे खाने में,हमारे पहनावे में, हमारी बातचीत में, हमारे चिंतन में एवं हमारे कार्यों में स्वदेशी परिलक्षित हो। हमें देश,भाषा और देश की संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत के विषय में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के बहुत सारे प्रकल्प सरकार ने तैयार कर लिए हैं। परंतु हमें और आगे बढ़ना होगा। यहां पर किसी भी देश के मोबाइल या गैजेट का केवल उत्पादन न हो अपितु भारत के भी किसी ब्रांड के गैजेट का उत्पादन हो। हमें स्वदेशी की मानसिकता बनाकर आत्मनिर्भरता के लिए प्रयास करना होगा। कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना और देश के भीतर ही पर्यटन को बढ़ावा देना हमारी प्रमुखता होनी चाहिए। साथ ही साथ उद्यमियों की भी जिम्मेदारी है कि वह केवल स्वदेशी की भावना के लिए नहीं अपितु गुणवत्ता पर भी ध्यान दें। स्वदेशी से आत्मनिर्भर भारत बनाने हेतु हमें अपने महापुरुषों को भी जीवन में आत्मसात करना होगा। गांधी जी के जीवन दर्शन को पढ़ना होगा और शास्त्री जी की जीवन शैली को अपनाना होगा । मुख्य अतिथि, विज्ञान एवं तकनीकी मोदी विश्वविद्यालय, राजस्थान के कुलपति, प्रो. आशुतोष भारद्वाज ने शांति संदेश का वाचन किया। उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा का कोई विकल्प नहीं है।
अंत में डॉ. राजकुमार फलवारिया ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में नव निर्वाचित डूटा एग्जीक्यूटिव सदस्य मनीष कुमार एवं संजय कुमार का स्वागत अभिनंदन किया गया। साथ ही साथ कुछ समय पूर्व “स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत” पर गांधी भवन द्वारा आयोजित की गई चित्रकला प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया।
कार्यक्रम का सुन्दर संचालन डॉ. रमन गांधी ने किया। कार्यक्रम में, समाज विज्ञान विभाग के डीन प्रो. संजय रॉय , संयुक्त अधिष्ठाता छात्र कल्याण ,प्रो अंजन कुमार सिंह, हिन्दी विभाग के प्रो. रामनारायण पटेल,रसायन विभाग के प्रो श्रीकांत कुकरेती,हिंदू अध्ययन केंद्र की संयुक्त निदेशक डॉ प्रेरणा मल्होत्रा,अदिति महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.नीलम राठी, रामजस कॉलेज के बर्सर प्रो. सुरेश कुमार, लायब्रेरी साइंस के डॉ उस्मानी, डॉ आर.पी कुमार, डॉ अनुराधा, डॉ मनीष, डॉ पिंकी, डॉ नरेन्द्र रावत, डॉ आर के भारद्वाज, डॉ महेश चंद, प्रो राजपाल त्यागी, उर्दू विभाग के मुश्ताक कादरी,अरविंदो कॉलेज के प्राध्यापक डॉ हंसराज सुमन, श्री कटारिया ,प्रो सुनीता पारीख,प्रो संजय पंवार प्रो मंजू रानी, डॉ रश्मि गुप्ता, डॉ रितु खत्री, डीआरडीओ के संयुक्त निदेशक डॉ सुधांशु भूषण,एक्सेल इंडिया पब्लिकेशन के श्री संजय कुमार आदि अन्य प्राध्यापक और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top