
नई दिल्ली, 14 सितम्बर। भगवान महावीर मेमोरियल समिति एवं जैन महासभा, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में महावीर केन्द्र, नई दिल्ली में महापर्व क्षमापना समारोह भव्यता और श्रद्धा के साथ आयोजित हुआ।
समारोह को संबोधित करते हुए परम पूज्य निर्यापक पट्ठाचार्य प्रथमाचार्य श्री श्रुतसागर जी मुनिराज ने कहा कि जैन धर्म एक वैज्ञानिक दर्शन है और क्षमापना अहंकार रूपी पाप का नाश करती है।
समिति के अध्यक्ष श्री के. एल. पटावरी ने सभी संतों और गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें इस पावन अवसर पर समाज के हर वर्ग से क्षमा मांगनी और क्षमा प्रदान करनी चाहिए।
स्थानीय विधायक श्री अनिल शर्मा ने कहा कि क्षमायाचना से कोई छोटा नहीं होता, बल्कि यह जीवन का आदर्श बनना चाहिए।
मुनि डॉ. अभिजीत कुमार जी एवं मुनि श्री जागृत कुमार जी ने कहा कि क्षमायाचना पापों को नष्ट कर मन को उल्लास प्रदान करती है।
तपोरत्न आचार्य श्रीमद विजय रत्न सूरिश्वर जी महाराज ने क्षमा को एकता और राग-द्वेष से मुक्ति का संदेश बताया।
मुनि श्री रचित जी ने कहा कि क्षमापना पत्थर दिल को भी मोम बना देती है।
आचार्य श्री वीरसागर जी ने कहा कि भारत उत्सवों का देश है, और इस दिन हमें शत्रुओं के साथ-साथ वृक्षों-पौधों और सूक्ष्म जीवों से भी क्षमा याचना करनी चाहिए।
श्री राजकुमार ओसवाल ने इसे महाकल्याण का पर्व कहा।
प्रख्यात समाजसेवी श्री नरेश जैन ने स्थानकवासी समाज की ओर से, जबकि श्री सुखराज सेठिया ने तेरापंथ समाज की ओर से क्षमा व्यक्त की।
राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू ने कहा कि क्षमापना केवल जैन समाज का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज का पर्व है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस सरसंघचालक श्री मोहन भागवत की जैन आयोजनों में उपस्थिति का उल्लेख कर समारोह की गरिमा रेखांकित की।
कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मण्डल एवं मंदर संघ महिला मण्डल ने स्वागत गीत और भजन प्रस्तुत किए, साथ ही मुस्कान नाहटा एवं हर्ष नाहटा ने युगल भजन से वातावरण को भक्ति-रस में सराबोर किया।
समारोह में मस्कहमन या उससे अधिक तपस्या करने वाले तपस्वियों का स्मृति-चिह्न और माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। साथ ही वार्षिक निर्देशिका “गजेन्द्र सन्देश” का लोकार्पण भी हुआ, जिसमें देशभर के साधु-साध्वी भगवंतों के चातुर्मास का विवरण संकलित है।
इस अवसर पर जैन समाज के अनेक विशिष्ट व्यक्तित्व—श्री के. एल. पटावरी, श्री विपिन जैन, श्री संपतमल नाहटा, श्री पुनीत जैन, श्री दिनेश दोषी, श्री राजेन्द्र जैन, श्री राकेश जैन, श्री अनिल जैन आदि—उपस्थित रहे
