
भारतीय अस्पताल टेक्नोलॉजी पर बढ़ाएंगे खर्च, AI और डेटा से होगा इलाज बेहतर
भारतीय अस्पताल अगले 2-3 सालों में IT (सूचना प्रौद्योगिकी) पर अपना खर्च 20-25% तक बढ़ाने वाले हैं। CII-EY की हेल्थटेक रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों की सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑटोमेशन और डेटा-आधारित मरीजों की देखभाल हैं
आधे से अधिक (लगभग 50%) अस्पताल अपने IT बजट का 20% से 50% तक डिजिटल टेक्नोलॉजी पर खर्च कर रहे हैं।
तकनीक का इस्तेमाल करके मरीज़ों के अनुभव को बेहतर बनाना इलाज के नतीजों को सुधारना और डेटा के आधार पर सही फैसले लेना-ये तीन चीजें ही आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवा देने वालों की सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ होंगी।
60% स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी डिजिटल चुनौती अपने कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाना और उन्हें ।। के लिए प्रशिक्षित करना है।
नई दिल्ली / मुंबई, 11 सितंबर 2025: भारतीय अस्पताल अगले 2-3 सालों में टेक्नोलॉजी (T) पर अपना खर्च 20-25% तक बढ़ाने वाले हैं। CII और EY के एक सर्वे के अनुसार, लगभग आधे अस्पताल पहले से ही अपने।ा बजट का 20-50% डिजिटल टेक्नोलॉजी पर खर्च कर रहे हैं। यह रिपोर्ट CII हॉस्पिटल टेक 2025 समिट में जारी की गई थी जिसमें बताया गया है कि अस्पताल अब ऑटोमेशन (स्मृचालन) पर ध्यान दे रहे हैं। इसका मकसद मरीज़ों को बेहतर सुविधाएँ देनाइलाज के नतीजों को सुधारना और डेटा के आधार पर सही फैसले लेना है। “Unleashing digital momentum to shape the future of healthcare enabling automation to enforcing transformation” नाम की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अस्पतालों को भविष्य के लिए तैयार होने के लिए कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा। इनमें पुरानी तकनीक कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना और मरीज़ों को बेहतर सुविधाएँ देना शामिल है।
डिजिटल निवेश को बढ़ाने वाले नए ट्रेंड्स
डिजिटल निवेश में प्राथमिकता देते समय हेल्थकेयर प्रदाता अपने बजट ऐसे क्षेत्रों में खर्च कर रहे हैं जहाँ उन्हें लंबे समय में क्षमता बढ़ाने का फायदा दिखे। छह में से दस अस्पताल आईटी क्षमता बढ़ाने में निवेश करने की योजना बना रहे हैंइसके बाद BI टूल्स ((Business Intelligence Tools) और डेटा लेक्स (50%) का नंबर आता है। हार्डवेयर अपग्रेड और महत्वपूर्ण एप्लीकेशन सुधार प्राथमिकता में कम हैं (10%), जबकि डेटा प्रबंधन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र मध्यम प्राथमिकता वाले हैं।
क्लिनिकल क्षेत्रों में AI का बदलता इस्तेमाल
स्वास्थ्य सेवा देने वाले अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। उनका मुख्य मकसद डॉक्टरों की मदद करना है, ताकि उन्हें इलाज से जुड़ी जानकारी आसानी से मिले और वे बेहतर तरीके से समझ सकें। उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ क्लिनिकल डेटा और डॉक्यूमेंटेशनमें AI का इस्तेमाल (72%), निर्णय लेने में मदद करने वाले सिस्टम (64%) और इमेजिंग (जैसे एक्स-रे) में AI का उपयोग (60%) हैं। यह दिखाता है कि अस्पताल सोच-समझकर ऐसी AI टेक्नोलॉजी में निवेश कर रहे हैं जो डॉक्टरों सेवा प्रदाताओं और मरीज़ों केलिए डेटा को और भी साफ़ और आसानी से समझने लायक बनाए। इससे रोज़मर्रा के क्लीनिकल फैसले लेना आसान हो जाता है और इलाज के नतीजे भी बेहतर होते हैं।
इसके साथ ही, सीआईआई हॉस्पिटेक 2025 के चेयरमैन, जॉय चक्रवर्ती ने कहा, “भारत में हेल्थटेक की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए सरकार उद्योग और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच सहयोग बहुत ज़रूरी है। आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवा इस बात पर निर्भर करेगी कि हम इन चुनौतियों को कितनी जल्दी हल कर पाते हैं और अस्पतालों को मरीज़ों के भरोसे या डेटा
EY Parthenon CII
सुरक्षा से समझौता किए बिना टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए तैयार करते हैं। CII-EY हेल्थटेक सर्वे 2025 स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए एक सही समय पर आया मार्गदर्शन है।”
सर्वे के नतीजों पर अपनी राय देते हुए ईवाई पार्थेनॉन इंडिया के पार्टनर हेल्थकेयर अंकुर धंधारिया ने कहा, ‘हमारे सर्वे से भारत के हेल्थकेयर सेक्टर कीमौजूदा स्थिति, चुनौतियाँ और उम्मीदें साफ दिखती हैं। यह स्पष्ट है कि लीडर्स नेबेहतर और स्केलेबल सिस्ट्म तैयार कर लिए हैं और अब डिजिटल निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि मरीजों का अनुभव बेहतर हो और इलाज के नतीजे सुधरें। AI और डेटा एनालिटिक्स को अपनाने में भी बड़ा बदलाव आ रहा है। अब सिर्फ़ छोटे प्रयोगों पर नहीं बल्कि व्यावहारिक और बड़े पैमाने पर लागू होने वाले इस्तेमालपर ध्यान दिया जा रहा है। इसका उद्देश्यकाम को और बेहतर बनाना और डेटा के आधार पर सही निर्णय लेनाहै। साथ ही, ABDM और DPDPA जैसी सरकारी पहलें इस बदलाव को और तेज़ करेंगी। आने वाले सालों में हेल्थकेयर में तकनीक बुनियादी सत्र से आगे बढ़कर पूरी तरह’ भविष्य के लिए तैयार हो जाएगी। ऐसे स्मार्ट अस्पतालमरीज केंद्रित, कुशल, डेटा आधारित और बेहतर इलाज के नतीजों पर ध्यान देने वालेहोंगे।”
डिजिटल बदलाव के रास्ते में आने वाली रुकावटें
सर्वे में शामिल आधे से अधिक (60%) स्वास्थ्य सेवा देने वालों का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ी डिजिटल चुनौती अपने कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाना और उन्हें।। का प्रशिक्षण देना है। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र को औरज्यादा ऐसे लोगों की जरूरत है जो टेक्नोलॉजी को अच्छी तरह से समझ सकें।
इसके अलावा, डेटा को एक साथ जोड़ना और बिजनेस इंटेलिजेंस (BI) टूल्स का सही इस्तेमाल करना भी एक बड़ी चुनौती है जिसके बारे में 50% लोगों ने बताया। हालांकि हार्डवेयर नेटवर्क और डेटा स्टोरेज को थोड़ी कम मुश्किल माना गया है लेकिन लगभग 60% लोगों ने माना कि उन्हें अभी भी डेटा मैनेजमेंट में काफ़ी दिक्कतें आती हैं। इसके साथ-साथ्रसाइबर सुरक्षा और मरीज़ों से जुड़ने वाले प्लेटफॉर्म भी एक समस्या बने हुए हैं।
तकनीकी बाधाओं के अलावा, संगठनात्मक तैयारी भी एक बड़ी चुनौती है। लगभग दो-तिहाई (60%) CIOS (मुख्य सूचना अधिकारी) ने बताया कि बदलाव को स्वीकार न करने की मानसिकता उनकी सबसे बड़ी चुनौती है जबकि 40% ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी को पुराने सिस्टम के साथ जोड़ना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि प्रशिक्षण और सही बातचीत वेद्वारा लोगों की सोच बदली जा सकती है, लेकिन पुराने सिस्ट्म का नई टेक्नोलॉजी के साथ काम न कर पाना डिजिटल क्षमता को पूरी तरह से इस्तेमाल करने में एक बड़ी रुकावट बना हुआ है।
तकनीक को अपनाते हुए गोपनीयता और सुरक्षा बनाए रखना
सभी प्रमुख हेल्थकेयर प्रदाताओं का कहना है कि उनके पास डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए ममबूत नीतियाँ हैं। वे तीसरे पक्ष से ऑडिट करवाते हैं और ISO/HIPAA जैसे सुरक्षा मानकों का भी पालन करते हैं। यह बताता है कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ रहा है अस्पताल यह समझ रहे हैं कि लोगों का भरोसा जीतना बहुतजरूरी है। वे गोपनीयता और नियमों का पालन सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर नहीं देखते बल्कि इसे एक जरूरी हिस्सा मानते हैं ताकि मरीजों का विश्वास बना रहे और वे डिजिटल सेवाओं को आसानी से अपना सकें।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) को अपनाना
सर्वे के मुताबिक आधे हेल्थकेयर प्रदाताओं ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) को थोड़ा-बहुत अपना लिया है, जबकि 40% इसे जल्द ही अपनाने की योजना बना रहे हैं। पूरी तरह से इसे न अपनाने का मतलब है कि एक बड़ी कमी है: भले ही अस्पताल ABDM को अपनाना चाहते हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर इसे लागू करने में उन्हें परेशानियों आ रही हैं। अगर सरकार की योजनाएँ और अस्पतालों की तैयारी एक साथ मिलकर नहीं चलेंगी तो भारत का डिजिटल हेल्थ सिस्ट्म अलग-थलग ही रह जाएगा और पूरी तरह से एक-दूसरे से जुड़ नहीं पाएगा।
भविष्य के लिए तैयार हेल्थकेयर के लिए जरूरी बातें: EY की 5S स्ट्रैटेजी
ईवाई (EY) के विशेषज्ञों का कहना है कि एक साधारण डिजिटल अस्पताल से भविष्य के लिए तैयार स्मार्ट अस्पताल बनने का सफर सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं बल्कि कई चरणों में होने वाला बदलाव है।
इस बदलाव को तेज़ी से लाने के लिए ईवाई ने 55 स्ट्रैटेजी पेश की है.
EY Parthenon CI
स्केलेबल इंफ्रास्ट्रक्चर
सुरक्षित और लचीले ।। सिस्टम जो डिजिटल सेवाओं के विस्तार और एकीकरण को सपोर्ट करें नवाचार को बढ़ावा दें और संचालन को मजबूत बनाएं।
सीमलेस पेशेंट एंगेजमेंट (सहज तरीके से मरीजों से जुड़ाव)
एजेंटिक AI, टेलीमेडिसिन और वियरेबल्स जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल करके व्यक्तिगत और लगातार देखभाल सुनिश्चित करना और मरीजों की भागीदारी बढ़ाना।
रणनीतिक डेटा उपयोग
विभिन्न स्रोतों को जोड़ने के लिए एकीकृत डेटा सिस्टम बनाना ताकि रीयल-टाइम इनसाइट्स और संपूर्ण मरीज दृश्य मिल सके। इससे तेज़ निर्णय प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और AI का इस्तेमाल संभव होता है हेल्थकेयर अधिक प्रभावी और मरीज परिणाम बेहतर बनते हैं।
सस्ट्रेनेबिलिटी और अनुपालन को मजबूत करना
गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और सतत प्रथाओं को ऑपरेशन में शामिल करना ताकि नियमों का पालन हो, डेटा सुरक्षित रहे, पर्यावरणीय प्रभाव कम हो और भरोसा तथा संचालन क्षमता बढ़े।
स्मार्ट AI और ऑटोमेशन
एडमिनिस्ट्रेटिव कामों को आसान बनाना डायग्नोस्टिक सटीकता और क्लिनिकल निर्णय क्षमता बढ़ाना ताकि संचालन में दक्षता आए और सटीक व्यक्तिगत देखभाल संभव हो।
