

बंसी लाल रिपोर्टिंग :-
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वतंत्रता आंदोलन और सामाजिक सुधारों में स्वतंत्रता-पूर्व केंद्रीय विधानमंडलों के राष्ट्रवादी नेताओं की भूमिका पर डाला प्रकाश
श्री शेखावत ने विट्ठलभाई पटेल को किया नमन, दिल्ली विधानसभा को बताया लोकतंत्र का मंदिर
“इस सदन का प्रत्येक पत्थर उन महान आत्माओं की विरासत समेटे है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया” – माननीय केंद्रीय मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत
नई दिल्ली, 24 अगस्त 2025
“इस सदन का प्रत्येक पत्थर उन महान आत्माओं की विरासत समेटे हुए है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया” — यह बात आज माननीय केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने “स्वतंत्रता-पूर्व केंद्रीय विधानमंडलों के राष्ट्रवादी नेताओं की स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में भूमिका” विषय पर दिल्ली विधानसभा में आयोजित ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता एवं उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट उपस्थित थे।
दिल्ली विधानसभा में आयोजित ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए माननीय केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने विधानसभा कक्ष की तुलना सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर से करते हुए कहा कि यह सदन उन नेताओं के साहस, बलिदान और नैतिक शक्ति का सजीव साक्षी है, जिन्होंने कठिनतम परिस्थितियों में पूरे देश में स्वतंत्रता की ज्योत जलाने का कार्य किया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस सदन का प्रत्येक पत्थर उन महान आत्माओं की विरासत समेटे हुए है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया।
भारत की प्राचीन लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लेख करते हुए श्री शेखावत ने वैदिक काल से चली आ रही सभा और समिति जैसी संस्थाओं, मौर्य और
गुप्त काल के जन-केंद्रित शासन तथा रामायण, महाभारत और अशोक के शिलालेखों में निहित लोकतांत्रिक भाव को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को “लोकतंत्र की जननी” घोषित किया था।
श्री शेखावत ने 1925 में श्री विट्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधान सभा के पहले भारतीय अध्यक्ष चुने जाने के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उनके अमूल्य योगदान पर विशेष सत्र आयोजित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पटेल जी और उनके समकालीन नेताओं ने कठिनतम परिस्थितियों में भी इस सदन को स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा का मंच बनाया।
उन्होंने 1858 के गवर्नर जनरल की परिषद से लेकर स्वतंत्रता-उपरांत संविधान सभा और वर्तमान संसद तक इस सदन के विकास की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें अपने पूर्वजों के सपनों के भारत के निर्माण के संकल्प को पूरा करने के लिए कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर दिल्ली के कैबिनेट मंत्री श्री कपिल मिश्रा, तेलंगाना विधान परिषद के उपाध्यक्ष श्री बांदा प्रकाश, महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोहरे, बिहार विधान परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. राम वचन राय, मेघालय विधानसभा के अध्यक्ष श्री थॉमस ए. संगमा और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष श्री नंद किशोर यादव ने भी सत्र को संबोधित करते हुए अपने विचार साझा किए।सभी गणमान्य वक्ताओं ने विषय “स्वतंत्रता-पूर्व केंद्रीय विधानमंडलों के राष्ट्रवादी नेताओं की स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में भूमिका” पर अपने मूल्यवान विचार व्यक्त किए।
