
अमन जीत कौर रिपोर्ट :-
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ पुस्तक का लोकार्पण
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रोफेसर नमिता रंगनाथन द्वारा संपादित पुस्तक ‘कंटेम्पररी परस्पेक्टिव इन चाइल्डहुड एण्ड एडोलेसेन्स’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण के उपरांत इस पुस्तक पर एक चर्चा का भी आयोजन किया गया। इस चर्चा की अध्यक्षता डॉक्टर गीता मेनन ने की। इसमें वक्ता के रूप में प्रो. विनीता भार्गव, डाॅ. आनंदिनी धर और प्रो. कनिका आहूजा ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
गीता मेनन ने पुस्तक की विशेषता पर चर्चा करते हुए रेखांकित किया कि यह पुस्तक भारतीय संदर्भ में बाल्यावस्था और किशोरावस्था को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ सामग्री है। इस पुस्तक में भारतीय शोध कार्यों का उल्लेख इसे पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाता है। उन्होंने इस तथ्य पर बोल दिया कि बाल्यावस्था और किशोरावस्था को केवल मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं के रूप में न देखकर एक सांस्कृतिक संप्रत्यय के रूप में भी समझा जाना चाहिए। इस कार्य में प्रस्तुत पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी। आनंदनी धर ने अपने व्याख्यान में अपनी इस पुस्तक की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुस्तक बहुअनुशासनात्मक नजरिए से बाल्यावस्था और किशोरावस्था को प्रस्तुत करती है। इसमें शिक्षाशास्त्र के प्रश्नों को केंद्र में रखते हुए मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के परिप्रेक्ष्यों को भी प्रस्तुत किया गया है। इसके उपरांत प्रोफेसर कनिका ने पुस्तक की संपादकीय शैली की सराहना की। इन्होंने कहा कि यह पुस्तक इस ढंग से लिखी गई है कि प्रत्येक अध्याय सुसंगत और प्रवाहमय है। अपने व्याख्यान में इन्होंने विशेष रूप से उल्लिखित किया कि यह किताब भारतीय और वैश्विक संदर्भ में किशोरावस्था को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ सामग्री है। इसमें मीडिया के प्रभाव जैसे नए विषय क्षेत्र भी सम्मिलित हैं। विनीता भार्गव ने अपने शोध कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि यह पुस्तक पाठकों को इस दिशा में विचार करने का अवसर देती है की विविधता और समावेशन भी तटस्थ अवधारणाएं नहीं हैं। इनके भी अपने सांस्कृतिक-राजनीतिक अर्थ होते हैं। इसी के सापेक्ष समझ यह पुस्तक पाठकों को विविधता और समावेशन के समकालीन विमर्शों से परिचित कराती है। चर्चा सत्र के अंत में संपादक प्रोफेसर नमिता रंगनाथन ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।