मलेशिया उच्चायोग और कर्मा फाउंडेशन ने सयुंक्त रूप से आयोजित किया आसियान-भारत -2025 फोरम, आसियान दिवस पर समावेशिता, स्थिरता और युवा कूटनीति का आह्वान :-

नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 — “समावेशिता और स्थिरता: साथ मिलकर आगे बढ़ें” विषय पर आधारित आसियान–भारत 2025 फ़ोरम का आयोजन मलेशिया उच्चायोग, नई दिल्ली में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत में मलेशिया के उच्चायुक्त और आसियान नई दिल्ली समिति के अध्यक्ष महामहिम दातो’ मुज़फ़र शाह मुस्तफ़ा ने की। इसका सह-आयोजन कर्मा फ़ाउंडेशन द्वारा किया गया, जिसका नेतृत्व इसकी संस्थापक ध्वनि जैन ने किया, जो भारत में जन–केंद्रित कूटनीति की उभरती हुई आवाज़ हैं।
महामहिम दातो’ मुज़फ़र शाह मुस्तफ़ा ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि आसियान–भारत संबंधों की मज़बूती साझा मूल्यों और ऐसी प्रगति के संकल्प में निहित है, जो किसी को पीछे न छोड़े। उन्होंने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे स्थिरता और समावेशिता पर आधारित साझेदारियों को सशक्त बनाएं, ताकि आज की बहुध्रुवीय दुनिया की जटिलताओं का सामना किया जा सके। उन्होंने बताया कि 2023 में आसियान–भारत व्यापार 100.72 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 106.83 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में अपनाई गई आसियान–भारत कार्य योजना (2026–2030) डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था, समुद्री सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, जन–से–जन संबंध और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करेगी।
ध्वनि जैन ने अपने संबोधन में कहा कि कूटनीति को औपचारिक गलियारों से निकलकर लोगों के हाथों में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान केवल व्यापार या भूगोल से ही नहीं, बल्कि सामंजस्य, परस्पर निर्भरता और विविधता के सम्मान जैसे साझा सभ्यतागत मूल्यों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, “समावेशिता और स्थिरता नीतिगत विकल्प नहीं, बल्कि नैतिक और रणनीतिक अनिवार्यता हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत का नेतृत्व केवल शक्ति से नहीं, बल्कि विश्वास और साझा भविष्य के निर्माण से परिभाषित होगा, और युवाओं की भागीदारी को आसियान–भारत सहयोग के केंद्र में रखा जाना चाहिए।
कार्यक्रम में “ब्रिजिंग रीजन, बिल्डिंग फ्रेंडशिप्स” नामक उच्च–स्तरीय पैनल चर्चा, “देन एंड नाउ – जर्नी टुवर्ड्स प्रॉस्पेरिटी” शीर्षक वाली भावपूर्ण फोटो प्रदर्शनी, युवाओं और कूटनीति पर संवाद सत्र, और “ट्री ऑफ टुगेदर्नेस” (एकता का वृक्ष) नामक प्रतीकात्मक वृक्षारोपण समारोह शामिल थे।
पैनल चर्चा का संचालन राजनीतिक विश्लेषक और शिक्षाविद् डॉ. अमना मिर्ज़ा ने किया। पैनल में शामिल सुश्री सुहासिनी हेदार, द हिन्दू की राजनयिक संपादक, ने कहा कि आसियान को अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखते हुए विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ जुड़ना चाहिए और केवल द्विआधारी गठबंधनों तक सीमित नहीं होना चाहिए। श्री अमिताभ रंजन, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के रजिस्ट्रार, ने कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि असली गरिमा ताकत के साथ संयम में है, और शक्तिशाली देशों को अपने आर्थिक और कूटनीतिक साधनों का ज़िम्मेदारी से प्रयोग करना चाहिए। श्री अतुल के. ठाकुर, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सचिव, ने कहा कि भारत और आसियान “काफी आगे बढ़ चुके हैं” और मिलकर वैश्विक दक्षिण के लिए नई ऊर्जा ला सकते हैं। उन्होंने आर्थिक सहयोग में समानता की आवश्यकता पर बल दिया। मलेशिया की उप–उच्चायुक्त सुश्री शरीफ़ा इज़नीदा वाफ़ा ने आसियान–भारत एकता की तुलना “अलग–अलग खेतों में उगने वाले धान के पौधों से की, जो एक ही समुदाय का पेट भरते हैं” और विविधता को एक मज़बूती बताते हुए साझा लक्ष्यों जैसे डिजिटल नवाचार, सतत विकास, न्यायसंगत व्यापार और जन–से–जन संपर्क पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
फोटो प्रदर्शनी ने आसियान की दशकों लंबी यात्रा और विकास को दर्शाया, जबकि संवाद सत्रों ने युवाओं को कूटनीति में सक्रिय भागीदारी का अवसर दिया, जिससे क्षेत्रीय सहयोग के लिए समर्पित नई पीढ़ी के नेतृत्व को प्रोत्साहन मिला।
अपने समापन संबोधन में सुश्री शरीफ़ा इज़नीदा वाफ़ा ने “ट्री ऑफ टुगेदर्नेस” को आसियान–भारत साझेदारी का प्रतीक बताते हुए कहा कि जैसे एक पेड़ अपनी विविध शाखाओं और पत्तियों से मज़बूत होता है, वैसे ही यह साझेदारी प्रत्येक सदस्य देश के अनोखे योगदान से फलती–फूलती है और इसे ऐसे ठोस कार्यों के माध्यम से जारी रखना चाहिए, जो सभी के लिए समृद्धि, शांति और प्रगति लाएं।

कर्मा फ़ाउंडेशन एक गैर–लाभकारी संस्था है, जो समावेश, शांति निर्माण और मूल्यों पर आधारित नेतृत्व को सामुदायिक जुड़ाव और नीतिगत संवाद के माध्यम से बढ़ावा देती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top