
कुलवंत कौर रिपोर्ट:-
नई दिल्ली:- दिल्ली के दोनों विधानसभाओं में भाजपा विधायकों को 1984 नरसंहार की यादगार बनाने हेतु दिये जाने वाले मांग पत्र को अस्वीकार किये जाने पर सिख समुदाय में रोष।
अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी 1984 के अध्यक्ष जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल एवं सेक्रटरी जनरल खुराना ने प्रेस को दिये अपने साझे बयान में कहा कि नवम्बर 1984 सिख नसंहार की दिल्ली में यादगार बनाने के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर, 6 कैबिनेट मंत्री दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल दिल्ली को हमने पिछले दिनों मांग पत्र दिये थे। अभी तक दो महीने बीत जाने के बाद भी हमें ना ही बुलाया गया और न ही इस पर दिल्ली सरकार द्वारा कोई विचार किया गया। अब हम दिल्ली भाजपा विधानसभा के सदस्य गण को यह मांगपत्र देना चाहते थे लेकिन दिल्ली सचिवालय आई पी इस्टेट जहां पर मंत्रियों एवं मुख्यमंत्री जी को पहले मांग पत्र दिया गया था, और उस समय कहा गया था कि इन विधानसभा के सदस्यों के लिए भी यहीं पर मांगपत्र ले लिया जाएगा, लेकिन वहां पर मांग पत्र लेने से इनकार कर दिया गया। और हमारा समय बर्बाद किया गया और अंत में पुरानी विधानसभा, दिल्ली-110054 में भेज दिया गया कि वहां आपकी ये सभी 39 मांग पत्र ले लिये जाएंगे। मगर अफसोस की बात वहां भी कुछ ऐसा ही हुआ और उन्होंने लेने से इनकार कर दिया और कहा कि आप स्पीकर के घर चले जाएं वहां उनको ये मांग पत्र दे दीजिए। जबकि ये विधानसभा में लिया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा हमें लगता है कि ये अफसरशाही विधानसभा सदस्यों तक इन मांग पत्रों को नहीं जाने देना चाहते हैं और जो यादगार बनाने की योजना है उसमें ये रूकावट पैदा कर रहे हैं। हमें इस बात का दुख हुआ कि विधानसभा में जो डाक स्वीकार करते हैं, वो बिल्कुल ही अपने हाथ खड़े कर दिये।
स. भोगल एवं खुराना ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री से एक तो मिलने का समय मांगा है और जो हमारे साथ ऐसा बर्ताव किया और इन मांग पत्रों को नहीं लिया गया इसे गंभीरता से लें और दिल्ली सरकार में सिख एवं गुरूद्वारा मामलों के मंत्री श्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, भी इस विषय को गंभीरता से लें और इन मांग पत्रों को स्वीकार करने के लिए हमें बुलाया जाए। दंगापीड़ितों में इस बात के कारण रोष पनप रहा है।
उन्होंने कहा कि हम दिल्ली में सिखों की याद में स्मारक/यादगार बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि जिस तरह से दिल्ली में हजारों की तादाद में 1984 में सिखों का नरसंहार किया गया था, गुरूगं्रथ साहिब को अग्नि भेंट किया गया, करोड़ों की संपत्ति नष्ट की गई थी, जिससे देश व विदेश से आने वाले लोग भी इस बात को जान सके कि कांग्रेस ने किस तरह से सिखों के साथ अन्याय किया था।
