
अदवै किताब में गुरु गोबिंद सिंह जी को पांडवों का वंशज बताए जाने पर मचा बवाल
दिल्ली कमेटी सिखों को सनातनी साबित करना चाहती है: जीके
नई दिल्ली (26 सितंबर, 2025) दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा संचालित गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों की कक्षा 5 की पंजाबी विषय की पुस्तक “अदवै” की विषयवस्तु और नाम को लेकर विवाद छिड़ गया है। दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने उक्त पंजाबी पुस्तक के संस्कृत नाम और सिख विरोधी विषयवस्तु को वापस लेने की मांग की है। शिरोमणी अकाली दल, दिल्ली इकाई के कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए जीके ने दावा किया कि इस पुस्तक के माध्यम से दिल्ली कमेटी सिखों को सनातनी साबित करना चाहती है। क्योंकि इस पुस्तक में “श्री हेमकुंट साहिब जी की यात्रा” शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में गुरु गोबिंद सिंह जी को ‘महाकाल का पुजारी’ बताया गया है। इसके साथ ही, इस लेख में गुरु गोबिंद सिंह जी को पांडवों का वंशज बताने की गुस्ताखी की गई है। पुस्तक के अनुसार, “जब पांडु हेमकुंट पर्वत पर गहन समाधि में थे, तब परमात्मा ने उन्हें सिख गुरु गोबिंद सिंह के रूप में यहाँ जन्म लेने का आदेश दिया था।” जीके ने आगे बताया कि इस पुस्तक में बाबा बंदा सिंह बहादर के बारे में प्रकाशित एक लेख में उन्हें एक तांत्रिक बताया गया है। लेखक के अनुसार, वह गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार पर हुए अत्याचारों का बदला लेते हैं।
जीके ने पुस्तक में प्रकाशक का आईएसबीएन नंबर न होने का हवाला देते हुए किताब में छपें हुए डिस्क्लेमर पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। जीके ने कहा कि यदि हम इस पुस्तक के डिस्क्लेमर में दी गई जानकारी पर विश्वास करें, तो इस पुस्तक के सभी लेखक गायब हैं और इस पुस्तक की विषयवस्तु को लेकर प्रकाशक और लेखक पर किसी भी अदालत में मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता। जीके ने दिल्ली कमेटी प्रबंधकों से सवाल किया कि इस पुस्तक को धर्म प्रचार कमेटी या पंजाबी विकास कमेटी में से किसने अनुमोदित किया है? जबकि यह पुस्तक न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि इसमें गुरु गोबिंद सिंह को सनातनी और पांडवों का वंशज बताने की भूल की गई है। साथ ही, यह किताब शक्तिशाली गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के अत्याचारों के शिकार होने की लाचारी का वर्णन भी कर रही है। जबकि दशम ग्रंथ की बाणी गुरु गोबिंद सिंह जी को अकाल का उपासक बताती है। जीके ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली कमेटी प्रबंधकों ने अपने लिए कोटे, परमिट और लाइसेंस पाने के लिए सिख विचारधारा का त्याग कर दिया है।सिखों के धर्म को ताक पर रख रही हैं कमेटी। हमारे पास यह भी तथ्य हैं कि इस पुस्तक का प्रकाशक डीएवी स्कूलों का पाठ्यक्रम निर्धारित करने वाली संस्था “डीएवी सेंटर फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस” का आधिकारिक प्रकाशक भी है। इसलिए, यह भी संभव है कि यह पुस्तक डीएवी स्कूलों के पाठ्यक्रम वाली पुस्तक का नया संस्करण हो। जीके ने कहा कि हमारा धर्मग्रंथ, हमारी पहचान, हमारे प्रतीक हमें एक अलग कौम के रूप में हमें एक विशिष्ट पहचान देते हैं। लेकिन यह पुस्तक हमें सनातनी साबित करने की कोशिश करती प्रतीत होती है।
दिल्ली कमेटी की धर्म प्रचार कमेटी के पूर्व चेयरमैन परमजीत सिंह राणा ने इस पुस्तक के मुख्य कवर पन्ने पर सलवार पहने छपे एक सिख बच्चे की तस्वीर पर रोष व्यक्त करते हुए इस कृत्य को सिख अस्मिता को ठेस पहुँचाने वाला हरकत बताया। अकाली दल के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. परमिंदर पाल सिंह ने पुस्तक की विषय-वस्तु की प्रामाणिकता और लेखकों के गायब होने को गंभीर लापरवाही बताते हुए इतिहास लेखन के दौरान डिस्क्लेमर की आवश्यकता और अस्तित्व पर भी सवाल उठाए।
