

विश्व-ख्यात चित्रकार महेश वैष्णव की गोधन कला पहुँची प्रधानमंत्री, गृहमंत्री अमित शाह और एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार श्री सीपी राधाकृष्णन तक.
गोधन यानी गाय के गोबर से बनी पेंटिंग्स को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाले विश्व-ख्यात चित्रकार महेश वैष्णव की कृतियाँ अब देश के सर्वोच्च नेतृत्व तक पहुँच चुकी हैं। हाल ही में संसद भवन में गृहमंत्री अमित शाह जी को वैष्णव जी की गाय-बछड़े की गोधन पेंटिंग भेंट की गई।
इससे पहले भी अमित शाह जी को उनकी दो पेंटिंग्स भेंट हो चुकी हैं—पहली बार भाजपा सरकार के 1 साल हुए थे तब राधा-कृष्ण का चित्र, और दूसरी बार आपातकाल की 50वीं वर्षगाँठ पर प्रधानमंत्री संग्रहालय में श्यामा प्रसाद मुखर्जी संस्था के द्वारा क्रायकम मे गोधन से बना पोर्ट्रेट। यह तीसरी बार है जब गृहमंत्री को उनकी गाय बछड़े की गोधन से बनी पेंटिंग भेंट की गई।
इसके साथ ही एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार श्री सीपी राधाकृष्णन को भी मितेश भाई साहब के माध्यम से महेश वैष्णव की गाय-बछड़े की गोधन पेंटिंग भेंट की गई। जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी उनका विशेष गोधन पेंटिंग पोर्ट्रेट भेंट किया जाएगा, जिसमें वे गाय के बछड़े को स्नेहपूर्वक दुलारते हुए दर्शाए गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
महेश वैष्णव की कला पहले से ही वैश्विक स्तर पर सराही जा रही है। उनकी गोधन कला ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स के पैलेस में स्थापित है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मोहन भागवत, स्वामी चक्रपाणि महाराज, विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष आलोक जी और कई राष्ट्रीय नेताओं के गोधन पोर्ट्रेट भी बनाए हैं।
गौ सेवा ही राष्ट्र सेवा
महेश वैष्णव ने 40 वर्षों से कला साधना की है और ढाई वर्षों से गोधन पेंटिंग पर केंद्रित हैं। उन्होंने 108 रामायण चित्र, हनुमान चालीसा श्रृंखला और अब हनुमान व राम आरती चित्र पर काम शुरू किया है।
उनका कहना है—
“गौ सेवा ही राष्ट्र सेवा है। गोधन कला का उद्देश्य गौ माता की रक्षा, गोहत्या पर रोक और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित है।”
मितेश भाई साहब का योगदान
महेश वैष्णव की कला को राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुँचाने में मितेश भाई साहब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनका मानना है कि वैष्णव जी पद्मश्री और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के प्रबल दावेदार हैं।
आज जब गोधन कला प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रपति और एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तक पहुँच रही है, यह केवल एक कलाकार का सम्मान नहीं बल्कि भारतीय परंपरा और गौ संस्कृति का वैश्विक संदेश है।
