राजीव जौली खोसला विख्यात समाज सेवी ने महान शहीद सपूत राजगुरु की जयंती पर किये शरदासुमन अर्पित।

भारत माता के महान सपूत राजगुरु जी के जन्मदिन पर दी पुष्पांजलि :खोसला

भीम ब्रिगेड ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव जोली खोसला ने आज भारत माता की महान सपूत अमर शहीद राजगुरु जी के जन्म दिवस पर दी पुष्पांजलि और कहां भारत की जनता से महान सपूतों की गाथाएं पढ़ें किस प्रकार उन्होंने अंग्रेजों से आजादी दिलाई आज का नौजवान नशे में घिरा पड़ा है या मोबाइल में बच्चे नौजवान और महिलाएं वबुजुर्ग अपना जीवन खराब कर रहे हैं आओ हम सब मिलकर राष्ट्र उत्थान के लिए इसे पुणे आजादी ले!
शहीद राजगुरू का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरू था.
राजगुरू का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे ज़िले के खेड़ा गाँव में हुआ था.
उनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और उनकी माता का नाम पार्वती बाई था.
अपने जीवन के शुरुआती दिनों से ही राजगुरू का रुझान क्रांतिकारी गतिविधियों की तरफ होने लगा था.
राजगुरू ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक पद पर नियुक्त अंग्रेज़ अधिकारी जेपी सांडर्स को गोली मारी थी.
इन क्रांतिकारियों ने कबूला था कि वे पंजाब में आज़ादी की लड़ाई के एक बड़े नायक लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना चाहते थे.
एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस की बर्बर पिटाई में लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी.
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू
राजगुरू ने भगत सिंह के साथ मिलकर सांडर्स को गोली मारी थी.राजगुरू ने 28 सितंबर, 1929 को एक गवर्नर को मारने की कोशिश की थी जिसके अगले दिन उन्हें पुणे से गिरफ़्तार कर लिया गया.
उन पर लाहौर षड़यंत्र मामले में शामिल होने का मुक़दमा भी चलाया गया.
राजगुरू को भी 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे लाहौर के केंद्रीय कारागार में उनके दोस्तों भगत सिंह और सुखदेव के साथ फ़ाँसी पर लटका दिया गया.
इतिहासकार बताते हैं कि फाँसी को लेकर जनता में बढ़ते रोष को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों का अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में कर दिया था. आज भी हम 1931 मैं शहीद होने के बाद 2025 में क्रांतिकारी वीरों को याद कर रहे हैं जय हिंद जय भारत.

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