नई दिल्ली, 11 अगस्त, 2025 – शैक्षिक योजना तथा प्रबंधन में क्षमता निर्माण और शोध के लिए समर्पित संस्थान, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनआईईपीए) ने आज इंडिया हैबिटेट सेंटर में अपना 19वां स्थापना दिवस एक विशिष्ट व्याख्यान के साथ मनाया। इस कार्यक्रम में जानेमाने विचारकों ने 21वीं सदी की चुनौतियों एवं अवसरों के लिए भारत के शैक्षिक परिदृश्य को आकार देने में इस संस्थान की विरासत और भूमिका पर विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम के मुख्य मेहमान, इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राम माधव ने “उभरती नई दुनिया के लिए भारत को तैयार करना” विषय पर स्थापना दिवस व्याख्यान दिया।
दिवस की कार्यवाही की शुरुआत एनआईईपीए की डीन प्रोफेसर मोना खरे के स्वागत भाषण से हुई। इस भाषण ने विचारपूर्ण चर्चाओं के लिए मंच तैयार किया। इसके बाद एनआईईपीए की कुलपति प्रोफेसर शशिकला वांजारी ने भारतीय शिक्षा के लिए संस्थान की दूरदर्शी दिशा और राष्ट्रीय नीति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए एक व्यापक व्यक्तव्य दिया।
19वें स्थापना दिवस समारोह का मुख्य आकर्षण डॉ. राम माधव का अत्यधिक प्रतीक्षित व्याख्यान था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एनआईईपीए के कुलाधिपति श्री महेश चंद्र पंत ने की।
औपचारिक कार्यक्रम में एनआईईपीए के कर्मचारियों और विद्वानों के लिए एक विशेष सम्मान और पुरस्कार समारोह भी शामिल था। उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार किया गया। कार्यक्रम का समापन एनआईईपीए के रजिस्ट्रार डॉ. सूर्य नारायण मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक और लेखक डॉ. राम माधव ने विकसित हो रही वैश्विक व्यवस्था की जटिलताओं और उसमें भारत की रणनीतिक स्थिति पर गहन विचार व्यक्त किए। “उभरती नई दुनिया के लिए भारत को तैयार करना” विषय पर बोलते हुए डॉ. माधव ने भविष्य के साथ प्रोएक्टिव इंगेजमेंट और आत्मचिंतन की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “आज, हम अक्सर सार्वजनिक चर्चा में ‘नई विश्व व्यवस्था’ शब्द सुनते हैं। यह एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग अमूमन किया जाता है। लेकिन कितने लोग यह पूछने के लिए रुकते हैं: इसका वास्तविक अर्थ क्या है?” उन्होंने इस जाँच के तात्कालिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “यह समझना कि हम किस दिशा में जा रहे हैं, और कैसे उस यात्रा के लिए अपने देश को तैयार करना, मेरे विचार में, एक देशभक्ति का कर्तव्य है।” डॉ. माधव ने उपस्थित लोगों से इन विचारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिस भविष्य की वे बात कर रहे हैं, वह अब दूर नहीं है, बल्कि हमारे सामने है।
अपने संबोधन में डॉ. राम माधव ने कहा, “सच्ची शिक्षा केवल जानकारी नहीं देती; यह रचनात्मकता को प्रेरित करती है, मन को मुक्त करती है और चरित्र का निर्माण करती है जो एक राष्ट्र को चुनौतियों से ऊपर उठने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और सभी की गरिमा सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती है।” उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम एक नए युग की ओर बढ़ रहे हैं, आइए हम शैक्षिक परिवर्तन का समर्थन करें—विचार की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी में निहित—ताकि भारत न केवल दुनिया के साथ कदम मिलाकर चले, बल्कि मौलिक विचारों और करुणामय कार्यों के साथ अगुआई करे।
एनआईईपीए की माननीय कुलपति प्रोफेसर शशिकला वांजारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के परिवर्तनकारी लक्ष्यों के साथ भारतीय शिक्षा को जोड़ने में एनआईईपीए की भूमिका का प्रभावशाली विवरण प्रस्तुत किया। प्रोफेसर वांजारी ने एनआईईपीए के मूल मिशन को रेखांकित करते हुए कहा, “एनआईईपीए में, हमारा लक्ष्य छात्रों को व्यक्तिगत और व्यावसायिक उन्नति के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और उपकरणों से लैस करना है। हम उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक लचीलापन भी प्रदान करना चाहते हैं। शिक्षा के प्रति हमारा दृष्टिकोण कौशल-आधारित, बहु-विषयक और शिक्षार्थी-केंद्रित है…” यह दृष्टिकोण छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।”
एनआईईपीए भारत में शिक्षा सुधार क्षेत्रों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने का नेतृत्व कर रहा है। साथ ही यह शोध और क्षमता निर्माण में उत्कृष्टता के अपने कार्य को भी बखूबी कर रहा है। इसकी यह सोच एनईपी 2020 के उन लक्ष्यों के साथ गहराई से मेल खाती है जो 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 50% तक बढ़ाने और बहु-विषयक, कौशल-आधारित तथा शिक्षार्थी-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करते हैं।
एनआईईपीए ने भारत में शिक्षा पद्धतियों की योजना बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। यह भविष्य के लिए अनूठे मार्ग प्रशस्त करते हुए शिक्षा क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात कर रही है। संस्थान लगातार पेशेवर विकास कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

