नई दिल्ली: दिल्ली के शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने आज आत्माराम सनातन धर्म (ARSD) कॉलेज, धौला कुआं के 66वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। श्री सूद वर्ष 1983 से 1986 तक इसी कॉलेज के वाणिज्य विभाग के छात्र रहे हैं। इस अवसर पर दक्षिणी परिसर की निदेशक प्रो. रजनी अब्बी, कॉलेज के प्राचार्य, पूर्व और वर्तमान शिक्षकगण तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में शिक्षा मंत्री ने छात्रों को जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार रहने और कॉलेज से आगे के जीवन की दिशा तय करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कॉलेज जीवन के तीन वर्ष ऐसे होते हैं जब विद्यार्थी जीवन को खुलकर जीता है। इसके बाद जीवन में कई उत्तरदायित्व आते हैं, इसलिए हमें अभी से सोचने की जरूरत है कि हम अपने कॉलेज, समाज और देश को क्या योगदान दे सकते हैं।
श्री सूद ने कॉलेज जीवन की अपनी स्मृतियाँ साझा करते हुए कहा कि यह उनके लिए अत्यंत भावुक क्षण है कि जहाँ उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, आज उसी संस्था ने उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा की मेरी सबसे पहली पहचान आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज के पूर्व छात्र के रूप में है, जिस पर मुझे गर्व है।
उन्होंने ‘सनातन धर्म’ शब्द की महत्ता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि यह न केवल सत्य और शाश्वत मूल्यों का प्रतीक है, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना भी उत्पन्न करता है। श्री सूद ने बताया की जब कुछ लोग सनातन को खत्म करने की बात करते हैं, तब हम सबको सनातन मूल्यों के संवाहक बनकर इसे पुनः प्रतिष्ठित करने में योगदान देना चाहिए।
श्री सूद ने 1959 में इस कॉलेज की स्थापना का स्वप्न देखने वाले सनातन धर्म सभा के सदस्यों को भी स्मरण करते हुए उनके दूरदर्शी योगदान की सराहना की।
अपने शिक्षकों को श्रद्धा-सम्मान अर्पित करते हुए उन्होंने आचार्य चाणक्य का उल्लेख करते हुए कहा की शिक्षक साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण दोनों उसकी गोद में खेलते हैं।
शिक्षा मंत्री ने कॉलेज के शिक्षकों, ट्रस्ट और प्रशासन के सतत योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने हजारों विद्यार्थियों के जीवन में परिवर्तन लाने का कार्य किया है।
अपने वक्तव्य में उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति 2020 की प्रशंसा की और कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता इस नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने में जुटी हैं, जिससे समाज और छात्रों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन सुनिश्चित हो सके।
श्री सूद ने आगे कहा कि उनका मानना है की भारत वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनेगा, और भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। इस परिवर्तनकारी समय में युवाओं की और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के छात्रों व शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
समापन में उन्होंने कॉलेज के वर्तमान और पूर्व शिक्षकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा की आपने 1959 से अब तक हजारों युवाओं के जीवन को दिशा दी है। कॉलेज की गरिमा को बनाए रखने और उसे नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने के लिए मैं आप सभी को साधुवाद देता हूँ।

रिपोर्ट ओपनवॉयस बंसी लाल -=